‘मां घरों में टाॅयलेट साफ करती थी…’,भारती सिंह को याद आई बचपन की गरीबी

‘मां घरों में टाॅयलेट साफ करती थी…’,भारती सिंह को याद आई बचपन की गरीबी

सबको हंसाने वाली काॅमेडियन भारती सिंह की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब वह बेहद गरीब थी, उनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे। पेट भरने के लिए उनके भाई-बहनों ने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी। खेलने के लिए खिलौने नहीं थे तो भारती ने टूटे-फूटे डिब्बों, ब्रश को अपना खिलौना बनाया। भारती ने अपने दर्द से भरे बचपन को खुद बयां किया जिसे सुन हर किसी के आंखों मं आंसू आ जाएंगे।

दरअसल, हाल ही में नीना गुप्ता के एक शो में भारती सिंह पहुंची। जहां उन्होंने एक सक्सेसफुल कॉमेडियन बनने के पीछे छुपा दर्द बयां किया। भारती ने कहा- मेरा फोकस गरीबी ही था। मैं 2 साल की थी जब पिता का निधन हुआ। भाई-बहन पढ़ाई छोड़कर फैक्ट्री में कंबल का काम करने लगे। वो शायद कंबल हम यूज भी करते, चेकवाले कंबल होते जो दान में देते हैं। मेरा भाई, बहन और मां अपने सिर पर छह कंबल रखकर लाते थे।

भारती आगे बताती है- मैं टूटे-फूटे डिब्बों, ब्रश से खेलती रहती थी और वो लोग रातभर बैठकर कंबल बनाते थे। मां मातारानी के दुपट्टे लाकर मशीन में सिलती थी। मुझे कंबल की महक और मशीन की आवाज से बहुत नफरत है। फिर मैंने सोचा कि घरवालों के साथ मैंने गरीबी देख ली पर अब नहीं देखनी। आप कितने भी कॉमेडियन का बैकग्राउंड सर्च कर लीजिए हर कोई गरीब हैं। अमीरी में कभी कॉमेडी नहीं होती। गरीबी में ऐसे हालात थे कि क्या बताऊं। लोग आधा सेब खाकर कचड़े में फेंक देते थे तो मैं सोचती थी, इसे पाप लगेगा इसने पूरा नहीं खाया। मैं अगर उठाकर वो हिस्सा काटकर खा लूं। यहां तक मेरी सोच गई है। हमें कभी पूरा सेब नहीं मिला खाने को।

भारती कहती हैं- इतनी भूख थी अंदर, इतनी गरीबी थी। उन्होंने बताया, जब त्योहार आते हैं, तो बच्चे खुश होते हैं लेकिन मैं डिप्रेशन में चली जाती थी। हमारे पास कुछ नहीं था। मेरी मां जब काम करके मिठाई का डिब्बा लाती थी तब हमारे घर में लक्ष्मी की पूजा होती थी वर्ना हम बैठे रहते थे। बच्चे गली में पटाखे चलाते थे तो मैं पास जाकर खुश होती थी और उनके पास जाकर ताली बजाती थी ताकि लोगों को लगे कि मैंने पटाखे चलाए हैं। काॅमेडियन ने कहा- मम्मी लोगों के घर काम करती थीं और मैं दरवाजे पर बैठी रहती थीं। मम्मी टॉयलेट साफ करतीं, लोग बोलते, इधर कर, कोने से कर और मैं बैठी देखती रहती थी। वो जाते वक्त बोलते थे, कमला कल हमारे गेस्ट आए थे सब्जी पड़ी है लेकर जाना। उनकी बासी सब्जी हमारी फ्रेश हो जाती थी। हमारा दिन बन जाता था।

भारती मेरे से पहले भी बहुत थी लेकिन लोगों ने आगे नहीं निकलने दिया। लोग बोलते, ए क्या कर रही है मुंह फाड़के। क्या कर रही है, दुपट्टा कहां है, भाई आएगा तो बोलेगा, चलो अंदर बेटा, क्यों हम लोग अंदर क्यों फिर पैदा ही क्यों किया। ये सब चीजें बहुत होती हैं लेकिन आज कल की लड़कियां बहुत आगे हैं। भारती ने बताया कि कपिल शर्मा और सुदेश लहरी ने उनकी जिंदगी बदल दी। वह बताती हैं, मैं जब कोई बात करती थी तो सबको हंसी आती थी। मैं कॉलेज में फ्री टाइम में सबको हंसा रही थी। सुदेश लहरी वहां से निकले, देखा और चले गए। मेरे टीचर से कहा कि वो लड़की मोटी सी है बहुत अच्छा बोल रही है, लोग हंस रहे हैं उसको बुलाओ। वो मेरा पहला यूथ फेस्टिवल का नेशनल था।

दूसरे साल हुआ तो मुझे अमृतसर में जोनल यूथ फेस्टिवल में कपिल शर्मा मिले। कपिल ने कहा एक शो आ रहा है स्टैंडअप कॉमेडी का तो तुम करोगी। ऑडिशन में जितना थिएटर किया था सब बोल दिया। हमारे घर में फोन भी नहीं था। साथ वालों के घर फोन आया उन्होंने कहा आप सिलेक्ट हुए हो आपको बाॅम्बे आना है। मैं और मेरी मां पहली बार फ्लाइट में बैठे। हमने ट्राॅली भी नहीं ली, हमें ललगा कि पैसे देकर लेनी पड़ती है, तभी किसी ने कहा कि ट्राॅली ले लीजिए तो हमने कहा कि हमारे पास चेंज नहीं है। उसने कहा कि वो फ्री है। कई दिक्कतों के बाद भारती ने अपनी काॅमेडी का सफर शुरू किया और आज वह एक जाना पहचाना नाम बन चुकी है।

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