जब मुश्किल वक्त में सूर्य कुमार यादव की पत्नी उनकी कोच बन गई थी,फिर हुआ था कमाल।

टीम इंडिया मौजूदा वक्त पर खेल के सबसे छोटे प्रारूप में अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो इसका श्रेय काफी हद तक सूर्यकुमार यादव को जाता है. सूर्या इस वक्त टी20 रैंकिंग में पहले स्थान पर हैं. उन्होंने डेब्यू के एक साल बाद ही इस फॉर्मेट में नंबर-1 की जगह अपने लिए पक्की कर ली.
सूर्यकुमार यादव हालांकि अभी वनडे और टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित नहीं कर पाए हैं. इस फॉर्मेट में वो लगातार फ्लॉप रहे हैं. हालांकि अभी उन्हें 50 ओवरों के क्रिकेट और खेल के सबसे लंबे प्रारूप में ज्यादा मौके भी नहीं मिल पाए है. ऐसे में इसपर कुछ भी कहना थोड़ा जल्दबाजी होगा.
एक वक्त ऐसा भी था जब सूर्यकुमार यादव टीम इंडिया में डेब्यू के लिए तरस रहे थे. उनके साथी क्रिकेटर्स एक एक कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बना रहे थे.
सूर्या केवल घरेलू क्रिकेट और आईपीएल तक ही सीमित थे. उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक अपनी जगह बनाने के लिए 10 साल का वक्त लगा.
सूर्यकुमार यादव का कहना है कि पत्नी देविशा ने उनके करियर को उड़ान भरने में अहम भूमिका निभाई है. पत्नी ने निजी कोच बनकर सूर्यकुमार यादव की मदद की. करियर के छोटे-छोटे पहलुओं पर निजी तौर पर काम किया. यही वजह है कि सूर्या ने भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई.
एक इंटरव्यू के दौरान सूर्यकुमार यादव ने बताया था, “मुझे याद है अंडर-23 एशिया कप में मैं खेला था. मेरे साथ अक्षर पटेल, जसप्रीत बुमराह और केएल राहुल थे. सभी लोग साथ में खेले थे. वो सभी साल 2015-16 तक भारतीय टीम के लिए खेलने लगे. इसके बाद मैंने और वाइफ ने इसपर बात की.
हमनें देखा की बीते तीन चार साल में मैंने क्या किया है. मैं आगे चीजों को कैसे और अच्छा कर सकता हूं. इसके बाद हम एक न्यूट्रिशनिस्ट से मिले. एक पूर्ण बैटिंग कोच से बात की. हर डिपार्टमेंट में देविशा ने बोला कि लगाओ ना कुछ कुछ. फिर देखते हैं कि आगे क्या होता है. ये हमारा मिल जुल कर लिया गया निर्णय था.”
सूर्यकुमार यादव ने बताया, “उन्होंने कहा कि कुछ चीजों पर कंट्रोल करो. देर रात तक दोस्तों के साथ बाहर जाना कम करो. जीवन में टाइम लिमिट रखो. अपने प्लान बनाओ लेकिन केवल विकेंड पर. जब क्रिकेट का टाइम आए तो उसमें मस्ती नहीं होनी चाहिए. मैंने उसे बोला चलो ठीक है. इसे भी ट्रॉय कर लेते हैं. फिर जब डेब्यू मैच मिला.
पहला मैच अच्छा गया. मैं रूम में आया. मैं अपना मैच देख रहा था. सुन रहा था कि लोग मेरे बारे में क्या कह रहे हैं. सुबह के चार बज रहे थे. देविशा ने मुझे बोला कि आपकी यात्रा अब शुरू हुई है. उसने बताया कि जिसके लिए तुमने बीते 10 साल से मेहनत की थी. वो असली क्रिकेट की यात्रा यहां से शुरू हुई है.“