पाकिस्तान में इस शक्तिपीठ माता की होती है पूजा, मुसलमान मानते हैं इसे अपनी आस्था का प्रतीक

पाकिस्तान में इस शक्तिपीठ माता की होती है पूजा, मुसलमान मानते हैं इसे अपनी आस्था का प्रतीक

भारत देश में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी मां दुर्गा की एक मंदिर है. जिसका नाम मां हिंगलाज है. ये मंदिर हिंदू और मुसलमान दोनों के ले आस्था का बड़ा केन्द्र है. ये मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगोल नदी के तट पर स्थित है. दिलचस्पी की बात तो ये है कि हिंदू लोग इसे शक्तिपीठ मानते हैं. तो वहीं मुसलमान इसे नानी का हज मानते हैं. और तो और हर साल 3 अप्रैल को बलूचिस्तान में मां हिंगलाज की जयंती भी मनाई जाती है.

बताया जाता है कि ये मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक शृंखला के अंतिम में बसा है. और एक छोटी सी गुफा में मिट्टी की वेदी बनी है. जिसे हिंगलाज माता का रूप मानकर लोग उनकी पूजा करते हैं.

यहां के लोगों की मान्यताओं के अनुसार जब देवी सती ने आत्मदाह किया था, तो भगवान शिव उनके शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे. और शिव का सती के प्रति इतना मोह देखने के बाद भगवान विष्णु ने उनके मोह को भंग करने के लिए सती के शरीर को उन्होंने अपने चक्र द्वारा टुकड़ों में विभाजित कर दिया था. और जहां-जहां सती के ये अंग टुकड़ों में गिरे वो शक्तिपीठ के नाम से जेने गए. और इसी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में मां सती का सिर कटकर गिरा था. जिसे लोग पूजते हैं.

जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए काफी कठिन रास्तों का सामना करना पड़ता है. हिन्दु समुदाय मां हिंगलाज को अपने कुलदेवी का दर्जा देते हैं. जिनकी आबादी करीबन 1.5 लाख बताई जाती है. हर साल हजारों की तादाद में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग हिंगलाज मां के दर्शन करने के लिए मंदिर में जाते हैं. लेकिन इस साल पाकिस्तान द्वारा एक्समप्रेस के आवागमन पर रोक लगाने की वजह से भारतीय श्रद्धालु पाकिस्ताान नहीं जा पा रहे हैं.

इन भगवानों की होती है पूजा…

बताया जाता है कि जिस स्थान पर मां हिंगलाज का मंदिर स्थित है. उसी क्षेत्र में तीन ज्वालामुखी हैं, जिन्हें गणेश, शिव और पार्वती के नाम से लोग पूजते हैं. और इन्हीं नाम से ये लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं. हालांकि हिंगलाज माता में स्थातनीय बलोच और सिंधियों की अटूट आस्थाा बसी है. इतना ही नहीं यहां के लोग इस स्थाीन को ‘नानी का मंदिर’ कहते हैं. इसलिए यहां माता हिंगलाज को बीवी नानी के नाम से भी पुकारा जाता है

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